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प्रियंका गांधी वाड्रा का लोकसभा में पहला भाषण: साहसिक और तीखा हमला

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प्रियंका गांधी वाड्रा ने लोकसभा में अपने पहले भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने एक पुराने राजा की कहानी का जिक्र करते हुए कहा कि पहले के राजा वेश बदलकर जनता के बीच जाकर उनकी आलोचना सुनते थे, लेकिन आज के राजा में न तो जनता के बीच जाने का साहस है और न ही उनकी आलोचना सुनने का। यह टिप्पणी सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना थी।

प्रियंका गांधी ने अपने भाषण में कहा कि भारत का संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह करोड़ों भारतीयों की आकांक्षाओं और उम्मीदों का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि यह संविधान हमारे स्वतंत्रता संग्राम की अनोखी विरासत से निकला है, जो सत्य और अहिंसा पर आधारित था। उन्होंने बीजेपी पर संविधान को कमजोर करने और आरक्षण को खत्म करने की कोशिश करने का आरोप लगाया।

न्याय, समानता और सामाजिक न्याय का मुद्दा

प्रियंका गांधी ने कहा कि संविधान सामाजिक और आर्थिक न्याय का वादा करता है, लेकिन यह सरकार इसे तोड़ने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि निजीकरण और लेटरल एंट्री के माध्यम से आरक्षण व्यवस्था को कमजोर किया जा रहा है। उन्होंने जाति जनगणना की मांग को भी उठाया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी वर्गों के साथ न्याय हो।

अडानी पर सरकार को घेरा

प्रियंका गांधी ने अडानी समूह के पक्ष में सरकार द्वारा लिए गए फैसलों को लेकर सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि देश के बंदरगाह, हवाई अड्डे, कोल्ड स्टोरेज, और सड़क निर्माण के काम अडानी समूह को सौंपे जा रहे हैं। किसानों और छोटे व्यापारियों को इस सरकार ने हाशिये पर धकेल दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार केवल एक व्यक्ति के लिए काम कर रही है, जबकि आम जनता बेरोजगारी और महंगाई से त्रस्त है।

महिला और दलित अत्याचार का मुद्दा

प्रियंका गांधी ने आगरा के अरुण वाल्मीकि और संभल के अदनान का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि संविधान ने ही पीड़ितों को न्याय की उम्मीद दी है। उन्होंने बताया कि कैसे पुलिस हिरासत में अरुण वाल्मीकि की मौत हुई और अदनान जैसे युवा लड़के, जो डॉक्टर बनने का सपना देख रहे थे, पुलिस की गोली का शिकार हो गए।

लोकतंत्र और संविधान की रक्षा की अपील

उन्होंने बीजेपी पर संविधान और लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए कहा कि देश में जो भी कानून बनाए जा रहे हैं, वे बड़े उद्योगपतियों के हित में हैं। प्रियंका ने कहा कि यह सरकार आरक्षण की व्यवस्था और संविधान की संरचना को खत्म करने की दिशा में काम कर रही है।

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ईवीएम पर सवाल और बैलेट पेपर की मांग

प्रियंका गांधी ने ईवीएम पर भरोसे की कमी जाहिर की और बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाएं, तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

नेहरू की विरासत का बचाव

प्रियंका गांधी ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का भी जिक्र किया और कहा कि उनकी नीतियों ने आधुनिक भारत की नींव रखी। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने नेहरू की आलोचना की है, लेकिन देश की संस्थाओं और विकास में उनका योगदान कभी मिटाया नहीं जा सकता।

भविष्य की राजनीति पर असर

प्रियंका गांधी वाड्रा का यह भाषण कांग्रेस के लिए ऐतिहासिक साबित हो सकता है। उनके भाषण ने विपक्ष को एकजुटता का संदेश दिया और बीजेपी को कटघरे में खड़ा किया। यह साफ है कि प्रियंका गांधी आने वाले समय में कांग्रेस की प्रमुख नेता के रूप में उभरेंगी और उनकी भाषण शैली बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती साबित होगी।

इस भाषण के जरिए प्रियंका गांधी ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह संविधान, न्याय और समानता की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाने को तैयार हैं। उनका यह भाषण संसद में साहस, तीव्रता और संवेदनशीलता का अनोखा संगम था।

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