CHATI ANKH logo.cdr

मंदिर-मस्जिद विवाद पर अखिलेश यादव का बयान: एक साहसिक कदम

maxresdefault
आज लोकसभा में समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने संविधान और देश में साम्प्रदायिक सौहार्द के मुद्दे पर एक ऐसा भाषण दिया जिसे साहसिक और राजनीति से परे माना जा रहा है। इस भाषण के दौरान उन्होंने देश में मंदिर और मस्जिद के मुद्दे पर हो रही राजनीति पर कड़ा प्रहार किया।

मंदिर के नीचे मस्जिद खोजने की राजनीति

अखिलेश यादव ने कहा कि एक खास विचारधारा देश में हर मस्जिद के नीचे मंदिर खोजने में लगी हुई है। उनका कहना था कि इस राजनीति ने देश की शांति और सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का भी हवाला दिया जिसमें सभी प्रकार के सर्वेक्षणों और मुकदमों पर रोक लगाई गई है। उन्होंने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि वास्तविक समस्याओं की अनदेखी कर इस तरह की राजनीति आने वाली पीढ़ियों के लिए विनाशकारी होगी।

संविधान के उद्देश्य और विभाजनकारी नीतियों पर सवाल

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे मुद्दे संविधान की प्रस्तावना में लिखित उद्देश्यों जैसे व्यक्तित्व की गरिमा, देश की एकता और बंधुत्व की भावना के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की विभाजनकारी नीतियां केवल नफरत और असंतोष को बढ़ावा देती हैं।

भविष्य के लिए संदेश

अखिलेश ने कविता के माध्यम से यह संदेश दिया कि यह देश न तो किसी एक का है और न ही दूसरे का, बल्कि यह सभी का है। उन्होंने कहा,
“यह न मेरा है, न तेरा है, हिंदुस्तान सबका है। समझोगे नहीं तो नुकसान सबका है।”
उन्होंने धर्म और जाति से ऊपर उठकर देश की समस्याओं पर ध्यान देने की अपील की।

WhatsApp Image 2024 11 24 at 11.26.41 PM
कास्ट जनगणना और सामाजिक न्याय का मुद्दा

अखिलेश यादव ने संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर को याद करते हुए जाति जनगणना की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि इससे दलितों और पिछड़े वर्गों को न्याय मिलेगा। उनका कहना था कि सरकारी नौकरियों और शिक्षा संस्थानों में आरक्षण खत्म हो रहा है और इसे पुनर्स्थापित करना जरूरी है।

सरकारी नीतियों पर हमला

अखिलेश ने भाजपा सरकार पर रोजगार के क्षेत्र में संविदा आधारित भर्ती को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण खत्म कर दिया गया है और निजी क्षेत्र में भी दलितों और पिछड़ों के लिए कोई आरक्षण नहीं है।

सामरिक और सुरक्षा मुद्दे

अखिलेश ने देश की सीमाओं पर बिगड़ती स्थिति का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि चीन सीमा पर गांव बसाने का काम कर रहा है और सरकार इस पर मूकदर्शक बनी हुई है। उन्होंने अग्निवीर योजना का विरोध करते हुए इसे देश की सुरक्षा के लिए हानिकारक बताया।

उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर निशाना

उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में पुलिस हिरासत में मौतों और महिलाओं पर अत्याचार के मामलों में इजाफा हुआ है। उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश साइबर अपराध में भी सबसे आगे है।

साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए अपील

अखिलेश यादव ने अपने भाषण में समाज के सभी वर्गों को जोड़ने और साम्प्रदायिक सौहार्द को बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि संविधान हमारे अधिकारों का रक्षक है और इसे बचाए रखना हम सबकी जिम्मेदारी है।

निष्कर्ष

अखिलेश यादव का यह भाषण राजनीति से आगे बढ़कर सामाजिक और राष्ट्रीय एकता का संदेश देता है। उनकी बातें केवल भाजपा पर हमला नहीं थीं, बल्कि एक चेतावनी थीं कि मंदिर-मस्जिद की राजनीति हमें वास्तविक मुद्दों से भटका रही है। उनके इस साहसिक बयान ने संविधान, सामाजिक न्याय और राष्ट्रीय एकता की बहस को एक नई दिशा दी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *