
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के कई युवाओं ने आर्थिक मजबूरी और बेहतर जिंदगी की तलाश में लीबिया का रुख किया, लेकिन उनकी यह यात्रा अब संकट में बदल चुकी है। बेंगाजी में फंसे इन भारतीय मजदूरों को कथित तौर पर फर्जी भर्ती एजेंटों ने झांसा देकर वहां भेजा। इनमें से अधिकतर युवक अब जेल जैसी परिस्थितियों में रहने को मजबूर हैं।
उम्मीदों के पीछे छिपा दर्द
अनीता देवी, जो गोरखपुर के सिहोरवा गांव में रहती हैं, अपने 22 वर्षीय बेटे विशाल साहनी के लिए हर पल परेशान रहती हैं। विशाल जून 2023 में एक बेहतर नौकरी की उम्मीद लेकर लीबिया गया था। उसे वहां लीबियन सीमेंट कंपनी में काम दिलाने का वादा किया गया था। लेकिन अब वह भूख और बेबसी का सामना कर रहा है।
अनीता का कहना है, “जब वह फोन पर बताता है कि कई बार उसे भूखा सोना पड़ता है, तो मेरा दिल बैठ जाता है।” उनके घर की छत बारिश में टपकती है और मरम्मत की सख्त जरूरत है, लेकिन उनकी चिंता अपने बेटे को लेकर ज्यादा है।

विशाल के साथ उनका चचेरा भाई राजकुमार साहनी भी फंसा हुआ है। राजकुमार की मां और परिवार के अन्य सदस्य भी बेहद चिंतित हैं। इन परिवारों ने एजेंटों को भारी रकम चुकाई, जो कर्ज लेकर दी गई थी, लेकिन बदले में उन्हें यह संकट झेलना पड़ रहा है।
फंसे हुए मजदूरों की मुश्किलें
बेंगाजी में फंसे इन मजदूरों के हालात बेहद खराब हैं। स्थानीय प्रशासन या एजेंटों से मदद मिलने की कोई उम्मीद नजर नहीं आती। भारतीय मजदूरों का कहना है कि उन्हें बंधक जैसी स्थिति में रखा गया है और न तो नियमित भोजन मिलता है और न ही कोई सहारा।
समाधान की उम्मीद
परिवारों ने भारत सरकार से अपील की है कि उनके बच्चों को सुरक्षित वापस लाने की कोशिश की जाए। इन परिवारों का कहना है कि वे सिर्फ एक बेहतर भविष्य की तलाश में थे, लेकिन उन्हें धोखा मिला।
यह घटना न केवल फर्जी भर्ती एजेंटों की सच्चाई को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि गरीबी और बेरोजगारी से जूझ रहे ग्रामीण भारत के युवा किस हद तक जोखिम उठाने को मजबूर हैं।