
बबली शाहिद की रिपोर्ट
धौर्रा माफ़ी स्थित एसआईजी अस्पताल के एसएसएआर पैरामेडिकल कॉलेज में उप-निर्देशक की भूमिका निभा चुके डॉ सैयद सालिम हाशमी ने चीन में हाँग काँग से सटे गुईझो प्रांत में आयोजित हुए मानसिक रोग जागरूकता वार्तालाप मंच पर अपनी सहपाठी डॉ राफीआ संग एक अध्यन प्रस्तुत किया ।
डॉ सालिम ने बताया कि किस तरह मानसिक स्वास्थ के प्रति लापरवाही बरती जाती है और लोग अभी भी मानसिक रोगों को एक मज़ाक़ के रूप में लेते हैं और मानसिक रोग से ग्रसित होने पर मानसिक रोग विशेषज्ञ के पास जाने से शरमाते हैं । समाज में इस ग़लत धारणा के प्रति जागरूकता बेहद आवश्यक है और मानसिक चिकित्सकों से मिलना किसी भी और चिकित्सक से मिलने के सामान्य है ।
इस अध्यन में उनकी सहपाठी डॉ राफ़ीआ ने भी मानसिक स्वास्थ पर अपने विचारों का आदान प्रदान किया । लाहौर में एक डॉक्टर परिवार में पली डॉ राफ़ीआ एक कामयाब स्त्री रोग विशेषज्ञ बनने का सपना रखती हैं ।
डॉ सालिम भी एक डॉक्टर परिवार से ताल्लुक़ रखते हैं । उनके पिता स्वर्गीय श्री डॉ शहाब फ़रखुन्द हाशमी ए.एम.यू के जे.एन मेडिकल कॉलेज में ई.एन.टी विभाग के चेयरमैन थे ।
डॉ सालिम और डॉ राफ़िआ का मानना है कि डॉक्टर परिवार में जन्म लेने से बचपन से मेडिकल से जुड़ी ग़लत धारणाएँ पता रहती है और उनको हटाने में आसानी होती है ।