

पीड़ित परिवार के अनुसार, रात के अंधेरे में 20 से 25 लोग एक साथ उनके घर में घुस आए और हथियारों के बल पर पूरे घर को तोड़ डाला। हमलावरों के पास हथियार थे, और उन्होंने पीड़ितों को डराने के लिए कई राउंड फायरिंग भी की। पुलिस के एक दरोगा ने खुद खड़े होकर तमंचे की नोक पर यह पूरी कार्रवाई करवाई। यह घटना अलीगढ़ के मंजूर घड़ी इलाके के पीले वाले गड्ढे के पास की बताई जा रही है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि इस घटना के पीछे तहसील कोइल में सक्रिय शाहबाज नाम के शख्स का हाथ है। शाहबाज कथित तौर पर एक भू-माफिया है, जो ज़मीन कब्जाने और अवैध संपत्ति विवादों में शामिल रहता है। आरोप है कि उसने पुलिस और गुंडों की मिलीभगत से इस पूरी साजिश को अंजाम दिया।
पीड़ितों की गुहार, लेकिन न्याय नहीं
तोड़फोड़ के शिकार हुए परिवार ने घटना की सूचना पुलिस को देने की कोशिश की, लेकिन स्थानीय थाने में उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। उल्टा, पुलिसकर्मियों ने पीड़ितों को ही डराने-धमकाने की कोशिश की। परिवार के सदस्यों का कहना है कि वे अब प्रशासन से न्याय की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
पुलिस की चुप्पी पर सवाल
घटना के बाद जब मीडिया ने पुलिस से इस मामले में सवाल किए, तो अधिकारी कोई ठोस जवाब नहीं दे सके। पुलिस ने इस घटना को “भूमि विवाद” बताकर टालने की कोशिश की, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि यह सिर्फ ज़मीन का मामला नहीं, बल्कि संगठित अपराध का हिस्सा है।
प्रशासन से मांग: हो निष्पक्ष जांच
मंजूर घड़ी के निवासियों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच की जाए और दोषियों को सख्त सजा मिले। लोग यह भी चाहते हैं कि इस घटना में शामिल पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई हो, ताकि भविष्य में कोई और इस तरह की ज़्यादती का शिकार न बने।
निष्कर्ष
अलीगढ़ का यह मामला पुलिस और भू-माफियाओं की मिलीभगत का एक और उदाहरण बनता जा रहा है। अगर समय रहते इस पर कार्रवाई नहीं हुई, तो यह प्रवृत्ति और खतरनाक रूप ले सकती है। पीड़ित परिवार अब न्याय की आस में है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेगा या फिर यह एक और अनसुनी घटना बनकर रह जाएगा?