
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (ए.एम.यू.) के भूगोल विभाग द्वारा आयोजित वृत्तचित्र कार्यक्रम, जश्न-ए-बहारा, एक भव्य सफलता रही। कार्यक्रम का संपादन मोहम्मद वसीम द्वारा किया गया,
जबकि शोध में बुतूल नक़वी और कशिश फिरोज़ का योगदान रहा। कार्यक्रम में मरयम बुतूल नक़वी, जिनिस जेसिका डॉयला और दिलशाद अहमद ने सहायक भूमिका निभाई।
डॉ. अहमद मुजतबा सिद्दीकी साहब ने कुशलता से इस सांस्कृतिक संध्या का संचालन किया। प्रस्तुतियों में अतीका सिद्दीकी (एम.ए. प्रथम वर्ष) द्वारा ग़ज़ल, अदनान (एम.ए. अंग्रेज़ी अंतिम वर्ष) द्वारा गीत, और मोहम्मद वसीम, अदील अख्तर, दिलशाद अहमद, अर्शद ज़हीर, मरयम बुतूल नक़वी, हेरा इदरीस, शबीस्ता खानम और अतीका सिद्दीकी द्वारा बेत बाज़ी शामिल थी।
इसके अतिरिक्त, अकांक्षा (एम.ए. अंतिम वर्ष) द्वारा गीत, अदनान द्वारा मिमिक्री, असलम (संगीतकार, सांस्कृतिक शिक्षा केंद्र, ए.एम.यू.) द्वारा ग़ज़ल, और साक़िब सलीम (शोध छात्र) द्वारा सोलो परफॉर्मेंस दी गई। मेघा (एम.ए. प्रथम वर्ष) ने कविता ‘भूगोल’ प्रस्तुत की, जबकि प्रो. हारून सज्जाद (जामिया मिलिया इस्लामिया) ने जौन एलिया और खुमार बाराबंकवी की ग़ज़लें सुनाईं।
प्रो. मुहम्मद सरफ़राज़ असगर (जम्मू विश्वविद्यालय) ने हास्यपूर्ण अंदाज़ में कुछ शेर प्रस्तुत किए और मिमिक्री भी की। कार्यक्रम के अंत में भूगोल विभाग के समूह द्वारा कव्वाली प्रस्तुत की गई, और ‘कुर्सी’ नामक एक नाटक प्रदर्शित किया गया, जिसमें दिखाया गया कि किस प्रकार एक अनपढ़ और भ्रष्ट नेता देश को बर्बादी की ओर ले जा सकता है।
यह सांस्कृतिक रात डॉ. सालेहा जमाल और डॉ. अहमद मुजतबा सिद्दीकी के मार्गदर्शन में आयोजित हुई, जिसमें सभी प्रतिभागियों ने अपनी अद्वितीय प्रस्तुतियों से समां बांध दिया।