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डॉ. आबिद साहब का पैगाम: होली के रंगों में घुली मोहब्बत और भाईचारे की खुशबू

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होली… सिर्फ रंगों का नहीं, दिलों को जोड़ने का त्योहार है। इस मौके पर डॉक्टर आबिद साहब (हमदर्द नगर, जमालपुर, अलीगढ़) ने एक ऐसा पैगाम दिया है जो हर दिल को छू जाता है। उन्होंने पूरे देशवासियों को होली की दिली मुबारकबाद देते हुए कहा कि यह त्योहार सिर्फ रंगों का नहीं, बल्कि मोहब्बत, भाईचारे और इंसानियत का त्योहार है।

डॉक्टर आबिद साहब का कहना है कि आज जब समाज में नफरत की दीवारें खड़ी हो रही हैं, तब होली का त्योहार हमें ये सिखाता है कि रंग चाहे कोई भी हो, सबका मेल ही असली खूबसूरती है। उन्होंने फरमाया कि जैसे रंगों का कोई मजहब नहीं होता, वैसे ही इंसानियत का भी कोई मजहब नहीं होना चाहिए। होली के बहाने हमें पुराने गिले-शिकवे भुलाकर एक-दूसरे को गले लगाना चाहिए।

उन्होंने बड़े दर्द भरे लहजे में कहा कि आज हिंदुस्तान को प्यार और मोहब्बत की सबसे ज्यादा जरूरत है। हमारे पूर्वजों ने इस मिट्टी को खून-पसीने से सींचा है, जिसमें हर मजहब का फूल खिला है। होली का यही पैगाम है कि हम एक-दूसरे के दुख-दर्द को समझें और अपने दिलों से नफरत की काली परछाइयां मिटा दें।

डॉ. आबिद साहब ने देशवासियों से अपील की कि इस होली पर सिर्फ रंगों से नहीं, दिलों से भी खेलें। हर घर में प्यार की खुशबू महके और हर गली-मोहल्ले में भाईचारे का रंग बिखरे। उन्होंने कहा कि असली होली तब होगी जब हिंदू-मुस्लिम, सिख-ईसाई सभी एक साथ मिलकर खुशियों के रंगों में सराबोर हो जाएंगे।

डॉक्टर साहब के इस पैगाम ने दिलों को छू लिया है। उनकी बातें हर हिंदुस्तानी के लिए एक सीख हैं कि त्योहार सिर्फ मनाने के लिए नहीं होते, बल्कि जुड़ने के लिए होते हैं। आइए, इस होली पर हम सब नफरत की दीवारों को गिराकर मोहब्बत का गुलाल उड़ाएं और एकता के रंगों से अपना वतन सजाएं।

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