
नई दिल्ली: संसद का बजट सत्र 31 जनवरी 2025 से शुरू होगा, जिसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगी। इसके अगले दिन, 1 फरवरी 2025 को केंद्रीय वित्त मंत्री देश का वार्षिक बजट पेश करेंगी। यह सत्र दो चरणों में आयोजित होगा।
सत्र का समय और कार्यक्रम
बजट सत्र का पहला चरण 31 जनवरी से शुरू होकर 13 फरवरी 2025 तक चलेगा। इसके बाद, दूसरा चरण मार्च के दूसरे सप्ताह से शुरू होकर अप्रैल के पहले सप्ताह तक आयोजित होने की संभावना है। सत्र के दौरान आर्थिक नीतियों, वित्तीय योजनाओं और विभिन्न विधेयकों पर गहन चर्चा की जाएगी।
चुनाव आयोग की सलाह
दिल्ली में 5 फरवरी 2025 को होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि बजट में दिल्ली से संबंधित किसी भी प्रकार की विशेष घोषणाएं न की जाएं। यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि चुनावी प्रक्रिया प्रभावित न हो और निष्पक्षता बनी रहे।
राष्ट्रपति का संबोधन
बजट सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संबोधन से होगी। इस संबोधन में सरकार की आगामी योजनाओं, नीतियों और उपलब्धियों का खाका प्रस्तुत किया जाएगा। यह संबोधन सरकार की प्राथमिकताओं और दृष्टिकोण को स्पष्ट करेगा, जो आने वाले वित्तीय वर्ष में कार्यान्वित की जाएंगी।

हर साल की तरह, इस बार का बजट भी देश की आर्थिक दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। बजट में ग्रामीण विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, उद्योग और रोजगार जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिए जाने की उम्मीद है। साथ ही, यह देखना होगा कि सरकार महंगाई नियंत्रण और निवेश को बढ़ावा देने के लिए क्या कदम उठाती है।
संसद सत्र का महत्व
बजट सत्र न केवल सरकार की वित्तीय प्राथमिकताओं को प्रस्तुत करने का अवसर है, बल्कि यह विपक्ष और सरकार के बीच नीति और योजनाओं पर संवाद और बहस का भी मंच है। संसद के दोनों सदन इस सत्र में महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करेंगे और विधेयकों को पारित करेंगे।
आम जनता की उम्मीदें
इस बजट को लेकर आम जनता और उद्योग जगत की बड़ी उम्मीदें हैं। सरकार पर दबाव है कि वह महंगाई कम करने, नौकरियों के अवसर बढ़ाने और बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए। छोटे और मध्यम व्यापारियों को राहत देने के लिए भी नीतियों की मांग की जा रही है।
इस प्रकार, बजट सत्र 2025 देश के विकास और आर्थिक सुधारों के लिए महत्वपूर्ण रहेगा। सरकार को चुनावी माहौल और जन अपेक्षाओं के बीच संतुलन बनाकर काम करना होगा।