
जाकिया जाफरी उस समय सुर्खियों में आई थीं जब उन्होंने गोधरा ट्रेन अग्निकांड के बाद भड़के दंगों के लिए जिम्मेदार नेताओं के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी। उन्होंने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचाया, लेकिन बड़ी साजिश के आरोपों पर कोई ठोस कानूनी कार्रवाई नहीं हो सकी।
28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद के गुलबर्ग सोसाइटी में 69 लोगों की हत्या कर दी गई थी, जिनमें एहसान जाफरी भी शामिल थे। यह घटना उस समय हुई थी जब गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के डिब्बों में आग लगा दी गई थी, जिसमें 59 ‘करसेवकों’ की जान चली गई थी। इस घटना के बाद राज्यभर में दंगे भड़क उठे थे।