संविधान बनाम मनुस्मृति
राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और विनायक दामोदर सावरकर पर तीखा हमला करते हुए कहा कि वे संविधान की जगह मनुस्मृति को लागू करना चाहते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि “सावरकर ने लिखा था कि भारतीय संविधान में कुछ भी भारतीय नहीं है।” उन्होंने कहा कि बीजेपी और आरएसएस की विचारधारा संविधान को कमजोर करने और जातिगत और सामाजिक भेदभाव को बढ़ावा देने की है।
महाभारत और एकलव्य का उदाहरण
राहुल गांधी ने अपने भाषण में महाभारत के पात्र एकलव्य की कहानी का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि “जैसे द्रोणाचार्य ने एकलव्य का अंगूठा काट लिया, वैसे ही बीजेपी सरकार देश के युवाओं, किसानों और छोटे व्यवसायों का ‘अंगूठा काटने’ का काम कर रही है।” उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने अग्निवीर योजना, पेपर लीक और रोजगार में असमानता के जरिए युवाओं का भविष्य खराब किया है।
किसानों और दलितों पर हो रहे अत्याचार
राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश के हाथरस मामले का जिक्र करते हुए कहा कि “जहां एक दलित लड़की के साथ गैंगरेप हुआ और उसके परिवार को न्याय से वंचित रखा गया। अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं जबकि पीड़ित परिवार को घर में बंद कर दिया गया। यह संविधान का नहीं, मनुस्मृति का राज है।” उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार लगातार संविधान का अपमान कर रही है और कमजोर वर्गों पर अत्याचार बढ़ा रही है।
राहुल गांधी ने कहा कि देश में जातिगत असमानता खत्म करने के लिए जाति जनगणना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा, “हम यह दिखाना चाहते हैं कि किसके ‘अंगूठे’ काटे गए हैं।” उन्होंने 50% आरक्षण की सीमा को तोड़ने और जाति जनगणना लागू करने की बात कही। राहुल ने कहा कि इससे भारत में सामाजिक और आर्थिक समानता की नई दिशा स्थापित होगी।
संविधान की रक्षा का संकल्प
राहुल गांधी ने अंबेडकर के शब्दों को दोहराते हुए कहा कि “यदि राजनीतिक समानता है लेकिन सामाजिक और आर्थिक समानता नहीं है, तो राजनीतिक समानता नष्ट हो जाएगी।” उन्होंने कहा कि आज देश में राजनीतिक समानता खतरे में है क्योंकि सभी संस्थानों पर सत्ता का कब्जा है।
निष्कर्ष
राहुल गांधी ने अपने भाषण के अंत में कहा कि “हम सभी मिलकर संविधान की रक्षा करेंगे और देश में समानता, न्याय और स्वतंत्रता की भावना को बनाए रखेंगे।” उन्होंने कहा कि भारतीय गठबंधन (इंडिया) संविधान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और जाति जनगणना के जरिए समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करेगा।
यह भाषण राहुल गांधी की सामाजिक समानता, न्याय और भारतीय संविधान के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उनका यह भाषण संसद और देशभर में चर्चा का विषय बन गया है।