अलीगढ़, अनूपशहर रोड। जमालपुर ईदगाह के पास आयोजित 12वीं सालाना मिलाद तालीम-ए-इस्लाम कॉन्फ्रेंस में देशभर से आए इस्लामी शिक्षाविदों और विद्वानों ने तालीम और अमन के महत्व पर जोर दिया। इस कॉन्फ्रेंस की अध्यक्षता खानकाह मारहरा शरीफ के सज्जादा मौलाना सय्यद अमीन मियां बरकाती ने की और सह-अध्यक्षता मौलाना सय्यद अमान मियां कादरी (अलबरकात इस्लामिक रिसर्च इंस्टीट्यूट) अलीगढ़ ने निभाई।
तालीम की अहमियत पर रोशनी
जामिया अशरफिया मुबारकपुर से आए मौलाना मसूद अहमद बरकाती ने ‘बरकाती पैगाम’ के तहत “आधी रोटी खाइए और बच्चों को पढ़ाइए” का वास्तविक अर्थ समझाया। उन्होंने बताया कि तालीम के बिना जिंदगी को ऐसे ही देखा जा सकता है जैसे पेड़ बिना खाद-पानी के। मौलाना ने कहा कि आज समाज में जो भी बुराइयां देखने को मिल रही हैं, वे इसलिए हैं कि हम तालीम पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कुरान और हदीस का हवाला देते हुए बताया कि शिक्षा केवल ज्ञान का स्रोत नहीं बल्कि जीवन में सम्मान और मर्यादा का आधार भी है।
अच्छे अखलाक और मीठी ज़बान का महत्व
सुन्नी दावते इस्लामी मुम्बई के संस्थापक मौलाना शाकिर अली नूरी ने इस्लाम में अच्छे अखलाक और मीठी जुबान की अहमियत बताई। उन्होंने कहा कि इंसान को अपनी ज़बान पर नियंत्रण रखना चाहिए और किसी भी परिस्थिति में ऐसे शब्दों का उपयोग नहीं करना चाहिए जिससे दूसरों को ठेस पहुंचे। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे किसी दुकान पर मुस्कुराते हुए स्वागत करने वाला दुकानदार ग्राहकों का दिल जीत लेता है, वैसे ही अच्छे अखलाक वाला व्यक्ति समाज में सम्मान और प्यार पाता है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि चाहे हम घर में हों, दुकान पर, या किसी सफर में, हमें अपने व्यवहार में मिठास और सम्मान बनाए रखना चाहिए, ताकि लोग हमें हमेशा अच्छे तौर पर याद रखें।
नात शरीफ और दुआओं का आयोजन
मौलाना राशिद रज़ा मरकजी, मैकश रामपुरी, और सय्यद फुरकान अली कादरी ने अपने कलाम से नात शरीफ पेश की। कार्यक्रम का संचालन हाफिज सैफ रज़ा ने किया, जिन्होंने पूरे दिन के आयोजनों को संजीदगी से आगे बढ़ाया। अंत में, सलाम और सभी लोगों के लिए खुशहाली की दुआओं के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।
प्रतियोगिता में विजेताओं का सम्मान
शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में सफल छात्रों को प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान पर पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। सभी विशिष्ट अतिथियों को शाल और अवार्ड देकर भी सराहा गया। इस आयोजन में प्रमुख रूप से प्रोफेसर मोहम्मद काफी, हाफिज शमशाद अजमल, मोहम्मद अज़हर नूर आज़मी, मौलाना हाफिज तारिक रज़ा, मौलाना हसन, हाजी नूर मोहम्मद, परवेज़ हसन, फर्रुख हसन, मोहम्मद फहीम रज़ा और शहर के अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
सम्मान और आभार
कार्यक्रम के अंत में आयोजक मोहम्मद अज़हर नूर आज़मी ने सभी अतिथियों, जिला प्रशासन और पुलिस विभाग के सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने आयोजन को सफल बनाने के लिए टीम के सभी सदस्यों और स्थानीय जनता का भी शुक्रिया अदा किया।
इस कॉन्फ्रेंस ने शिक्षा, अमन और अच्छे अखलाक पर विचार प्रस्तुत करते हुए एक मजबूत संदेश दिया और इस्लामिक समाज में तालीम की अहमियत को समझाने का प्रयास किया।