आगरा मंडल ब्यूरो अंजुम अंसारी
संस्कृत में एक श्लोक है- ‘यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता:। अर्थात्, जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। किंतु वर्तमान में जो हालात दिखाई देते हैं, उसमें नारी का हर जगह अपमान होता चला जा रहा है। उसे ‘भोग की वस्तु’ समझकर आदमी ‘अपने तरीके’ से ‘इस्तेमाल’ कर रहा है। यह बेहद चिंताजनक बात है। लेकिन हमारी संस्कृति को बनाए रखते हुए नारी का सम्मान कैसे किय जाए, इस पर विचार करना आवश्यक है।बच्चों में संस्कार भरने का काम मां के रूप में नारी द्वारा ही किया जाता है। यह तो हम सभी बचपन से सुनते चले आ रहे हैं कि बच्चों की प्रथम गुरु मां ही होती है। मां के व्यक्तित्व-कृतित्व का बच्चों पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार का असर पड़ता है।इतिहास उठाकर देखें तो मां पुतलीबाई ने गांधीजी व जीजाबाई ने शिवाजी महाराज में श्रेष्ठ संस्कारों का बीजारोपण किया था। जिसका ही परिणाम है कि शिवाजी महाराज व गांधीजी को हम आज भी उनके श्रेष्ठ कर्मों के कारण आज भी जानते हैं। देवी अहिल्याबाई होलकर, मदर टेरेसा, इला भट्ट, महादेवी वर्मा, राजकुमारी अमृत कौर, अरुणा आसफ अली, सुचेता कृपलानी और कस्तूरबा गांधी आदि जैसी कुछ प्रसिद्ध महिलाओं ने अपने मन-वचन व कर्म से सारे जग-संसार में अपना नाम रोशन किया है। कस्तूरबा गांधी ने महात्मा गांधी का बायां हाथ बनकर उनके कंधे से कंधा मिलाकर देश को आजाद करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इंदिरा गांधी ने अपने दृढ़-संकल्प के बल पर भारत व विश्व राजनीति को प्रभावित किया है। उन्हें लौह-महिला यूं ही नहीं कहा जाता है। इंदिरा गांधी ने पिता, पति व एक पुत्र के निधन के बावजूद हौसला नहीं खोया। दृढ़ चट्टान की तरह वे अपने कर्मक्षेत्र में कार्यरत रहीं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रेगन तो उन्हें ‘चतुर महिला’ तक कहते थे, क्योंकि इंदिराजी राजनीति के साथ वाक्-चातुर्य में भी माहिर थी
अंत में हम यही कहना ठीक रहेगा कि हम हर महिला का सम्मान करें। अवहेलना, भ्रूण हत्या और नारी की अहमियत न समझने के परिणाम स्वरूप महिलाओं की संख्या, पुरुषों के मुकाबले आधी भी नहीं बची है। इंसान को यह नहीं भूलना चाहिए, कि नारी द्वारा जन्म दिए जाने पर ही वह दुनिया में अस्तित्व बना पाया है और यहां तक पहुंचा है। उसे ठुकराना या अपमान करना सही नहीं है। भारतीय संस्कृति में महिलाओं को देवी, दुर्गा व लक्ष्मी आदि का यथोचित सम्मान दिया गया है अत: उसे उचित सम्मान दिया ही जाना चाहिए।