
अलीगढ़, 15 अगस्त – अलीगढ़ के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान, अल बरकात इंस्टीट्यूट ऑफ़ एजुकेशन, ने आज 78 वें स्वतंत्रता दिवस का जश्न बड़े ही धूमधाम और जोश-ओ-ख़रोश के साथ मनाया।
यह अवसर दोहरे उत्सव का प्रतीक था क्योंकि स्वतंत्रता दिवस की ख़ुशियों के साथ-साथ संस्था के संरक्षक और महान समाज सुधारक, हुज़ूर सय्यद अमीन मियां बरकाती साहब का यौम-ए-विलादत भी इसी दिन पड़ा, जिसने समारोह की शान को और बढ़ा दिया।
सुबह का आगाज़ राष्ट्रीय ध्वज फहराने के साथ हुआ, जिसमें संस्थान के छात्रों, शिक्षकों, और पदाधिकारियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। संस्था के जॉइंट सेक्रेटरी प्रोफेसर डॉ. अहमद मुज़तबा साहब ने झंडा फहराने के बाद राष्ट्रगान के साथ समारोह की औपचारिक शुरुआत की।
इसके बाद एक श्रृंखलाबद्ध कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया, जिसमें राष्ट्रप्रेम, एकता, और देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रदर्शन हुआ।
हुज़ूर अमीन ए मिल्लत सैयद अमीन मियां बरकाती साहब का प्रेरणादायक संदेश
समारोह के मुख्य आकर्षणों में से एक था हुज़ूर अमीन ए मिल्लत सैयद अमीन मियां बरकाती साहब का विशेष संबोधन। अपने प्रेरणादायक संदेश में उन्होंने स्वतंत्रता और एकता के महत्व पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, “आज का दिन हमारे मुल्क के लिए गर्व का दिन है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमारी आज़ादी किसी एक तबके की नहीं, बल्कि सभी भारतीयों की साझा विरासत है।
हम यहां उन महान बलिदानों को याद करने के लिए इकट्ठा हुए हैं, जिनकी बदौलत आज हम एक आज़ाद मुल्क में सांस ले रहे हैं। 15 अगस्त महज़ एक तारीख़ नहीं है, यह दिन हमारे लिए फ़ख्र और सम्मान का प्रतीक है।”
उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के इस अवसर पर सभी से अपील की कि वे अपने देश की तरक्की और खुशहाली के लिए दुआ करें और समाज के हर वर्ग के बीच आपसी सौहार्द और भाईचारा बनाए रखें।
अमीन मियां बरकाती साहब ने विशेष रूप से छात्रों को तालीम की अहमियत समझाते हुए कहा,
“तालीम ही वह रास्ता है जो हमें इस मुल्क के विकास में योगदान देने के लिए तैयार करता है। आप सभी को अपनी शिक्षा के प्रति समर्पित रहना चाहिए और इस मुल्क की उन्नति के लिए काम करना चाहिए।”
प्रोफेसर डॉ. अहमद मुज़तबा सिद्दीकी का महत्वपूर्ण संबोधन
समारोह के इस महत्वपूर्ण मौके पर प्रोफेसर डॉ. अहमद मुजतबा सिद्दीकी साहब ने भी छात्रों और शिक्षकों को संबोधित किया। उन्होंने अपने भाषण में संस्था की स्थापना और उसकी उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा,
“अल बरकात इंस्टीट्यूट का अस्तित्व हुज़ूर सय्यद अमीन मियां साहब की दूरदर्शिता और समाज सेवा की भावना का परिणाम है। इस संस्थान का मकसद उन छात्रों को उच्च शिक्षा का अवसर देना है, जिन्हें अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में दाखिला नहीं मिल पाता।”
प्रोफेसर अहमद मुज़तबा सिद्दीकी ने संस्थान के विकास में शिक्षकों और कर्मचारियों की कड़ी मेहनत की प्रशंसा की और कहा, “यह संस्थान सभी शिक्षकों और कर्मचारियों की कड़ी मेहनत का परिणाम है।
इस इंस्टीट्यूट की सफलता में हर शिक्षक और कर्मचारी का महत्वपूर्ण योगदान है। इस संस्थान को आज जिस मुकाम पर देखा जा रहा है, वह आपकी मेहनत और लगन का फल है।”
प्रोफेसर फहीम उस्मान सिद्दीकी का स्वतंत्रता दिवस पर महत्वपूर्ण विचार
समारोह में प्रोफेसर फहीम उस्मान सिद्दीकी साहब ने स्वतंत्रता दिवस के महत्व पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा, “स्वतंत्रता दिवस हमें हमारे पूर्वजों के बलिदान की याद दिलाता है।
यह वह दिन है जब हमें उन लाखों शहीदों को याद करना चाहिए जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना देश को आज़ाद कराने के लिए संघर्ष किया। हमें इस आज़ादी की क़ीमत समझनी चाहिए और इसे संजोए रखना चाहिए।”
प्रोफेसर फहीम सिद्दीकी ने छात्रों को इस दिन के महत्व को समझने के लिए प्रेरित करते हुए कहा, “आप सभी को इस आज़ादी की असली अहमियत को समझना चाहिए और अपने जीवन में इसे सही मायने में लागू करना चाहिए। स्वतंत्रता का अर्थ केवल बाहरी स्वतंत्रता नहीं, बल्कि आंतरिक स्वतंत्रता भी है।”
उन्होंने यह भी कहा कि हमें इस दिन का इस्तेमाल आत्मनिरीक्षण के लिए करना चाहिए और यह देखना चाहिए कि हम अपने देश के विकास में क्या योगदान दे सकते हैं। उनकी बातें छात्रों और शिक्षकों के बीच एक नई ऊर्जा और प्रेरणा का संचार कर गईं।
प्रोफेसर शाफ़य किदवई का 15 अगस्त के महत्व पर विचार
प्रोफेसर शाफ़य किदवई साहब ने भी 15 अगस्त के यौम-ए-विलादत के मौके पर छात्रों को इस दिन के ऐतिहासिक पहलुओं के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने कहा, “15 अगस्त हमारे देश के इतिहास का वह दिन है जो हमें यह याद दिलाता है कि किस तरह हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान की बाज़ी लगाकर हमें आज़ादी दिलाई। यह दिन हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि अगर आज़ादी न होती तो हमारा जीवन कैसा होता।”
प्रोफेसर शाफ़य किदवई ने छात्रों को यह सलाह दी कि वे अपनी पढ़ाई के साथ-साथ देश की सेवा का भी ध्यान रखें। “आपकी शिक्षा का उद्देश्य केवल आपके व्यक्तिगत विकास तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि यह देश के विकास के लिए भी होना चाहिए।”
छात्र-छात्राओं की प्रस्तुतियों से सजी स्वतंत्रता दिवस की शाम
अल बरकात एजुकेशन सोसाइटी में आयोजित इस समारोह में छात्र-छात्राओं ने देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत विभिन्न कार्यक्रम प्रस्तुत किए। इन प्रस्तुतियों ने सभी उपस्थित लोगों का दिल जीत लिया और स्वतंत्रता दिवस के महत्व को और भी गहराई से समझाया।
अब्दुल्ला रिज़वान खान ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल का किरदार निभाया। राम प्रसाद बिस्मिल एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे और साथ ही हिंदी और उर्दू के एक महान कवि भी।
उनकी रचनाएं आज भी देशभक्ति की भावना को जागृत करती हैं और हमें अपने देश के प्रति अपने कर्तव्यों की याद दिलाती हैं।
यूसुफ़ बरकाती ने स्वतंत्रता संग्राम के वीर योद्धा ठाकुर रोशन सिंह का किरदार निभाया। रोशन सिंह का नाम उनके अदम्य साहस और बलिदान के लिए इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। उनका बलिदान हमें यह सिखाता है कि अपने देश की सेवा के लिए हमें किसी भी हद तक जाना चाहिए।
अब्दुल्ला रिज़वान खान ने स्वतंत्रता आंदोलन के एक और महान शहीद अशफाक उल्ला खान का किरदार निभाया। अशफाक उल्ला खान का नाम स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है।
उनका बलिदान आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है और हमें यह सिखाता है कि देशप्रेम के लिए हमें किसी भी प्रकार की कुर्बानी देने के लिए तैयार रहना चाहिए।
इसके अलावा, जोहरा फातिमा ने भारत माता की भूमिका निभाई, जबकि जोया जीशान ने राम प्रसाद बिस्मिल की माता का किरदार निभाया। खदीजा और मोहम्मद ताहिर ने रोशन सिंह की बहन की भूमिका निभाकर दर्शकों को भावुक कर दिया।
इन प्रस्तुतियों ने दर्शकों के दिलों में देशभक्ति की भावना को और भी गहरा कर दिया।
संस्था के पदाधिकारियों का आभार और संदेश
समारोह के अंत में, संस्था के पदाधिकारियों ने सभी प्रतिभागियों की भूरि-भूरि प्रशंसा की और उन्हें स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के बलिदान को याद रखने का संदेश दिया।
उन्होंने कहा, “हम सभी को स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के बलिदान को हमेशा याद रखना चाहिए और उनकी कुर्बानियों का सम्मान करना चाहिए।”
संस्था के अधिकारियों ने यह भी कहा कि इस प्रकार के समारोह न केवल छात्रों के लिए प्रेरणादायक होते हैं, बल्कि समाज के लिए भी एक महत्वपूर्ण संदेश भेजते हैं। “हम सभी को इस स्वतंत्रता दिवस का महत्व समझना चाहिए और इसे हमेशा संजोए रखना चाहिए।”
प्रधान संपादक वाई के चौधरी : दैनिक छठी आंख समाचार