बिजनौर से ज़िला प्रभारी खालिद खान की रिपोर्ट।
शेरकोट।
अल्लाह की तरफ़ से मुसलमानों के लिए यह एक क़ीमती तोहफ़ा है । यह रात ख़ुशनसीब लोगों के हिस्से में आती है, इसलिए हम पर उसका एहतराम करना और उसके हर लमहे से फ़ायदा उठाना ज़रूरी है क्योंकि कुछ पता नहीं कि अगली बार मिले, न मिले ।
आज नमाज़े इशा के बाद अपने मुख्तसर ख़िताब में शहर इमाम मुफ़्ती मुहम्मद ज़की एजाज़ ख़ान क़ासमी देवबंदी ( इमाम व ख़तीब जामा मस्जिद व शहर क़ाज़ी शेरकोट ) ने क़ुरआन शरीफ़ और हदीसों का हवाला देते हुए कहा कि आज की रात मेला ठेला करने की रात नहीं है । अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हमें अपने अपने घरों में अलग अलग नमाज़, तस्बीह और दुआ करने का हुक्म दिया है । इस रात में सामूहिक रूप से कोई अमल दीन ए इस्लाम में नहीं मिलता ।
जामा मस्जिद में नमाज़ अदा करने आए लोगों से उन्होंने यह भी कहा कि हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के द्वारा दिए गए निर्देशों को छोड़कर मनमानी करने से हम अल्लाह को राज़ी नहीं कर सकते ।
उन्होंने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि हम अपने बच्चों को पटाख़े आदि छोड़ने से भी क्यूँ नहीं रोकते जिससे वातावरण एवं ध्वनि प्रदूषण फैलता है । इसी तरह नौजवान सड़कों पर स्पीडिंग, वन व्हीलिंग, ट्रिपलिंग और स्टंट बाज़ी से हर हाल में बचें क्योंकि यह तमाम काम इस्लाम धर्म के ख़िलाफ़ होने के साथ साथ हमारी सामाजिक सभ्यता, उत्तरदायित्वता और भारतीय संविधान की मूल धाराओं के अनुरूप भी नहीं है । इस्लाम में वातावरण की शुद्धता पर खास ध्यान दिया गया है, हमें उसका पालन करना चाहिए तथा हमें अपने आस पास पड़ोस में रहने वाले बीमारों एवं वृद्ध लोगों का भी ख़्याल रखना चाहिए ।
शहर इमाम ने अंत में मुल्क के अमन व अमान और क़ौम व मिल्लत की तरक्क़ी के लिए ख़ुसूसी दुआएं कराईं।