
हेडलाइन: कन्नौज में राजनीतिक समीकरण में बदलाव, बसपा अलग चुनाव लड़ रही है और सपा कांग्रेस के साथ।
2019 के चुनाव और पिछली हार: 2019 में, कन्नौज सीट पर डिंपल यादव ने सपा के साथ चुनाव लड़ा और उन्हें करीब 12,000 वोटों से हार का सामना करना पड़ा।
समीकरण में बदलाव: इस बार, बसपा अलग है और सपा कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ रही है। इससे राजनीतिक समीकरण में महत्वपूर्ण बदलाव आया है।
बीजेपी नेता के विचार: बीजेपी नेता सुब्रत पाठक ने इस पर टिप्पणी की, कहा कि इस बार सपा का कन्नौज में समर्थन कम हो गया है, जिससे उनके पक्ष को लाभ हो रहा है।
चुनावी गणित: कन्नौज सीट पर लगभग 3 से 3.25 लाख दलित वोटर हैं, जबकि 2.75 लाख मुस्लिम मतदाता हैं। इस बार, बसपा ने मुस्लिम उम्मीदवार को उतारा है, जिससे उन्हें मुस्लिम वोटों की उम्मीद है।
उम्मीदवारों का प्रभाव: इस बार चुनाव में अखिलेश यादव का बड़ा हवाला है, जिससे वे कन्नौज में अपनी बढ़त को बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं।
निष्कर्ष: देखना महत्वपूर्ण होगा कि कन्नौज की जनता इस बार किसे चुनती है और कैसे यह चुनावी मायने रखता है।
इस प्रकार, कन्नौज सीट पर राजनीतिक गतिशीलता एक रोचक मुकाबले की ओर बढ़ रही है, जिसमें सपा, बसपा, बीजेपी और अन्य दलों के बीच एक महत्वपूर्ण प्रतिस्पर्धा है।